ये अपना ज़माना ना था दर्द उसे दिखाना नहीं था
ये अपना ज़माना ना था
दर्द उसे दिखाना नहीं था
चल दिए साहिल की मस्ती में
उनको साथ निभाना नही था
घुट घुट कर जी रहे है उनकी यादों में
यादों में उनकी,हमारा अफ़साना नहीं था
मर कर भी जिंदा हैं बिन उनके
उनको अब अपनाना नही था
कर दिया दूर नझरों से अपनी
पास आने का कोई बहाना नही था
बशर हो गयी ज़िन्दगी सूखे डाल की तरह
दरख़्त में हमारा आशियाना नही था
अमर है प्यार हीर रांझा,रोमियो जूलियट का
इन जैसा अब वो कोई दीवाना नही था
भूपेंद्र रावत
23।11।207