यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
जब तूने मेहंदी रचा ली औरो के नाम का
आजतक कभी मैख़ाना न गया था ‘किशोर’
अब सहारा लेना पड़ रहा है नशीले जाम का
– केशव
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
जब तूने मेहंदी रचा ली औरो के नाम का
आजतक कभी मैख़ाना न गया था ‘किशोर’
अब सहारा लेना पड़ रहा है नशीले जाम का
– केशव