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1 Apr 2022 · 1 min read

यूक्रेन हुआ बेज़ार है

यूक्रेन हुआ बेज़ार है
कैसी ये युद्ध की मार है

अपने हो गए पराये
इंसानियत लाचार है

बच्चों की चीख गूंजती
मानवता शर्म छोड़ती

तन टुकड़ों में बंट रहे
ये धरा भी चीखती

कैसी ये अहं की लड़ाई है
जनता की जान पर बन आई है

अनाथ होता बचपन
प्रेयसी का संग भी छूटता

कोई अपने भाई को खोता
कोई अपने पिता को रोता

मानवता हुई शर्मशार है
इंसानियत पर वार है

कि ये मरा , कि वो मरा
कि बम यहाँ गिरा , कि वहां गिरा

चीथड़े बदन के , हवा में तैरते
कोई यहाँ गिरा, कोई वहां गिरा

नवजातों की मुस्कान खो गयी
माँ आंसुओं में नहा गयी

कि मैं रोऊँ , कि वो रोये
हर शख्स बेज़ार हो रहा

कोई तो मानवता के बीज रोपो
हो सके तो कोई , इस अनर्थ को रोको

आज उक्रेन त्रस्त हो रहा
कल और किसी की बारी

कैसी ये अहं की बीमारी
पड़ रही मानवता पर भारी

कोई तो चीख – चीत्कार रोको
कोई तो इंसानियत के दुश्मनों को रोको

यूक्रेन हुआ बेज़ार है
कैसी ये युद्ध की मार है

अपने हो गए पराये
इंसानियत लाचार है |

Language: Hindi
3 Likes · 159 Views
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