यूं ही साथ साथ चलते
आंखों में ख्वाब पलते
यूं ही साथ साथ चलते
हर पल सुहाना हो यहां
ये बात मुमकिन है कहां
खुश रहने का वजह ढूंढ
दिल दुखाने को तैयार जहां
आजा घर शाम ढलते
यूं ही साथ साथ चलते
वक्त तेजी से गुज़र रहा
बदल जायेगा अगर रहा
किसने वक्त को रोका है
अनवरत इसका सफ़र रहा
कदम- कदम पर सम्भलते
यूं ही साथ साथ चलते
तेरे बांहों की ठंडी छांव में
विश्वास का पायल पांव में
मालिक तेरा साथ बनाएं
उम्र के हर पड़ाव में
देखूं तुझे घर से निकलते
यूं ही साथ साथ चलते
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश