यूं ही कह दिया
यूं ही कह दिया
शायद सोचना था
पर यह समझ की बात
ज़हन में आई कहां कभी
मौके तलब में थे और
हस्ती हंसी में खो गई
गौर किया जब तक समा जल चुका था
परवाने सोच ना सकें सब धुआं कर आई मैं
बेगानी कुछ ना बची
कुछ सोच कर भी नासमझी में
आपबीती कर आई
इस शायद शायद की बात में
जाने क्या-क्या कह आई मैं
पर
मैंने यूं ही कह दिया
शायद सोचना था
~ कुmari कोmal