यूं इतराया ना कर
बोला था ना मैंने तुमको
यूं इतराया ना कर
चलना यहाँ सोच समझकर
पहले मंजिल अपनी तैय कर
गिरना पड़े जब मूंह के बल
तब खुद से उठना शुरू कर
करना हो अगर इस से बेहतर
थोड़ा पिछे आ, फिर दौड़ कर
धैर्य रख दिल में तेरे
कोशिश अपनी जारी रख
नामुमकिन नहीं कुछ भी यहाँ
बस हौसलें अपने बुलंद रख
मिल जायेगा सबकुछ तुम्हें
जो भी तू ने सोचा है
पहले दिल से पूछ लेना
कितना पसीना बहाना
हार मिले जो पहली बार
लोगों का ड़र छोड़ना होगा
हाथ रखकर कह दो दिल पे
फिर से मुझे तैरना होगा