यूंँ छोड़ के जाओ ना
आहों की सरगम कैसी है
राहों की तड़पन कैसी है
बिछुरी मुरली की धुन सुन कर
यमुना की धड़कन कैसी है
अब और सताओ ना
यूंँ छोड़ के जाओ ना
दुख में भी आशा याद रहे
नयनों की भाषा याद रहे
तन की परिभाषा कुछ भी हो
मन की अभिलाषा याद रहे
सीने से लगाओ ना
यूंँ छोड़ के जाओ ना
आँखों में कहानी छोड़ चले
कुरबत की निशानी छोड़ चले
कुछ पल ही हुए मुस्काए हम
तुम आह पुरानी छोड़ चले
ये बैर निभाओ ना
यूंँ छोड़ के जाओ ना
-आकाश अगम