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7 May 2024 · 1 min read

यूंँ छोड़ के जाओ ना

आहों की सरगम कैसी है
राहों की तड़पन कैसी है
बिछुरी मुरली की धुन सुन कर
यमुना की धड़कन कैसी है
अब और सताओ ना
यूंँ छोड़ के जाओ ना

दुख में भी आशा याद रहे
नयनों की भाषा याद रहे
तन की परिभाषा कुछ भी हो
मन की अभिलाषा याद रहे
सीने से लगाओ ना
यूंँ छोड़ के जाओ ना

आँखों में कहानी छोड़ चले
कुरबत की निशानी छोड़ चले
कुछ पल ही हुए मुस्काए हम
तुम आह पुरानी छोड़ चले
ये बैर निभाओ ना
यूंँ छोड़ के जाओ ना
-आकाश अगम

1 Like · 39 Views
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