याद माँ की…….
जब दुनियाँ में आँखें खोली,
अपने मुख से माँ ही बोली।
जब मैं राहों में लड़खड़ाई,
माँ! तूने मुझे सही राह दिखाई।
जब कभी भी मुझे रोना आया,
माँ! तूने मुझे चुप कराया।
पापा की ऊँगली पकड़ कर खेली,
ध्यान से सुनती थी माँ! बचपन में मैं तेरी बोली।
माँ जैसी दुनियाँ में न कोई,
तू तो है माँ! भगवान का रूप सोई।
जब दूर हो जाती हो माँ तुम मुझसे,
तो लगता है कि मेरा संसार रूठ गया है मुझसे।
देर न कर माँ! घर जल्दी आजा,
तेरे बिन सुने हैं,सब घर दरवाज़ा।
सोनी सिंह
बोकारो(झारखंड)