याद बहुत आने लगे
*** याद बहुत आने लगे ***
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जब वो याद बहुत आने लगे
तराने प्रेम के गाने लगें
यादें आती हमें है उसकी
हमें हिचकियाँ हैं आने लगे
चेहरे पर रौनक आ जाए
बेवजह हम मुस्कराने लगें
मनोभावों का मंजर देखिए
हंसते हंसते हम रोने लगें
नींद आए मेरी आँखों में
दिन रात ख्वाब हैं आने लगे
हर सय में दिखा ई हैं देते
प्रतिबिंब में नजर आने लगे
निशानियाँ हैं विरासत मेरी
ख्यालों में तुम है रहने लगे
बेमौसम सी बरसात से हो
वक्त बेवक्त याद आने लगे
सुखविंद्र ही है चाहत मेरी
विचारों में हैं समाने लगे
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)