याद दिलाने आई हूँ
आज धूमिल बलिदानों की, याद कराने आई हूँ
सच्चाई के शब्दो को लिख मैं
गीत सुनाने आई हूं,मैं गीत सुनाने आई हूं
अब तक मोन देख देख रही थी
व्यथा मेरी रोक रही थी
पीड़ा छुपी थी हृदय में
लेखनी मेरी कांप रही
आज धूमिल बलिदानों की, याद कराने आई हूँ
सच्चाई के शब्दो को लिख मैं
गीत सुनाने आई हूं,मैं गीत सुनाने आई हूं
माँ भारती आज तरस रही हैं
सत्ता के गलियारों में
देश की किस्मत आज लूट रही हैं
नेताओ रजवाड़ों में
आज धूमिल बलिदानों की, याद कराने आई हूँ
सच्चाई के शब्दो को लिख मैं
गीत सुनाने आई हूं,मैं गीत सुनाने आई हूं
स्वतंत्रता आज बंधक हुई हैं
आतंकियों के साये में
बेटी आज अस्मत खो रही
अपने ही गलियारे में,अपने ही गलियारे में
खेत बिक रहे खलिहान लूट रहे
वोटो की लाचारी में
आज धूमिल बलिदानों की, याद कराने आई हूँ
सच्चाई के शब्दो को लिख मैं
गीत सुनाने आई हूं,मैं गीत सुनाने आई हूं
देश का अन्न दाता बैठा आज
सड़को ओर गलियारो में
उसकी आज कोई सुनता सत्ता के गलियारे में
राह राह आज ठग बैठे हैं
सत्ता धारी मोन हुए हैं
जिसके पास आज धनदौलत हैं
उसी के साथ सत्ता दिखती हैं
आज धूमिल बलिदानों की, याद कराने आई हूँ
सच्चाई के शब्दो को लिख मैं
गीत सुनाने आई हूं,मैं गीत सुनाने आई हूं
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद