*याद तुम्हारी*
याद तुम्हारी
क्या कहूँ ……..
प्रेशर कुक्कर की सीटी-सी है
आती है तो
तूफ़ान-सा शोर लेकर
पर
उसे दफ़्न कर देती हूँ
भीतर ही कहीं
जैसे बजती हुई सीटी का गला
घोंट देते हैं हम अक्सर!!!!!!!!
याद तुम्हारी
क्या कहूँ ……..
प्रेशर कुक्कर की सीटी-सी है
आती है तो
तूफ़ान-सा शोर लेकर
पर
उसे दफ़्न कर देती हूँ
भीतर ही कहीं
जैसे बजती हुई सीटी का गला
घोंट देते हैं हम अक्सर!!!!!!!!