याद तुम्हारी आएगी !
याद तुम्हारी आएगी !
जब जल से भरकर नभ में सावन की घटा छाएगी,
जब बागों में सुरमय कोयल गाएगी
जब मन में उठ उठ के कसक रह जाएगी,
याद तुम्हारी आएगी!!
तुम से परे कहाँ जाऊं मैं,
तुम विन कहीं न जी पाऊँ मैं
जब भी कोई बात प्रीत की आएगी
याद तुम्हारी आएगी!!!
प्रेम पंथ पे चल पाना सब को तो होता है दुस्तर
पर तेरे बिन मेरे मन में चुभता हो ज्यों कोई नस्तर,
होगी जब आधी रात चांदनी छाएगी
याद तुम्हारी आएगी !!!!
तुम तो कहीं दूर बैठे हो
शायद मुझे भूल बैठे हो
आज तुम्हारी शोखी किसे लुभाएगी
याद तुम्हारी आएगी !!!!!