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12 Nov 2023 · 1 min read

“याद जो आई”

मृत्यु
परिवर्तन की परिणति,
जीवन
नित-निरन्तर गति।

मुझे मालूम है
जलता हुआ गर्म पारा है
आँसू
एक आत्मघाती जहर है
याद
एक मीठा धोखा है
इन्तजार
खुद को भूलने का शऊर है
सिंगार।

अब तो
सतरंगी हो चुकी परछाई,
आज एक बार फिर
उसकी याद जो आई।

प्रकाशित कृति : ‘तस्वीर बदल रही है’ काव्य-संग्रह से…

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

Language: Hindi
6 Likes · 7 Comments · 183 Views
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