.*यादों के पन्ने…….
…….यादों के पन्ने…….
पुरानी यादों को खोल कर देखा तो
याद बहुत आई
उन बिताये हुये लम्हों की
याद बहुत आई
सकूल की वह प्यारी सी मस्ती,
लड़ना झगड़ना फिर खेलना कुस्ती
स्वागतम पर बैठकर बातें करना
बातों बातों मे ही
हंसने रोने की याद बहुत आई
बीते दिनों की याद बहुत आई
माँ ने किस विषय पर डांटा था
टीचर ने किस लेक्चर पर पीटा था
या भाई की शिकायतें करना
खयालों मे ही रात कब गहराई
बीते दिनों की याद बहुत आई
बनाफर मॅम से डांट खाना
अल्ताफ सर को देखते ही भाग जाना
खोडे सर से अच्छे से पढ़ना
बावीस्कर सर से सारी बाते करना
एक दुसरे की केयर करना
बांटकर टिफिन खाने की याद आई
बीते दिनों की याद बहुत आई
त्योहार सभी मिलकर मनाते
ईद बकरीद पर हाथ मिलाते
होली दिवाली पर खुशी मनाते
आते हैं वो दिन याद जब भी
हो जाते हैं बेचैन अब भी
उन दोस्तों की दोस्ती बहुत याद आई
बीते दिनों की याद बहुत आई
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नौशाबा जिलानी सुरिया