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12 May 2024 · 1 min read

माँ तेरे आँचल तले…

सर पर माँ के हाथ बिन, मिले कहाँ आराम।
माँ तेरे आँचल तले, मेरे चारों धाम।।

जग में ऐसा कौन जो, माँ सा करे दुलार।
आँसू जब-जब देखती, लेती झट पुचकार।।

जरा सी एक गलती पर, पलट माँ टोक देती है।
बुरी आदत पनपने से, प्रथम ही रोक देती है।
अँधेरों में घिरूँ जब भी, उभर वो रेख आती है,
मुझे माँ चाँद-सूरज से, अधिक आलोक देती है।

है धरा पर स्वर्ग जैसा, मायका हम बेटियों का।
है यही फीके जगत में, जायका हम बेटियों का।
है यही दौलत हमारी, जी रहे जिसकी बदौलत,
ये छुपा इक स्रोत है जी, आय का हम बेटियों का।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )

1 Like · 29 Views
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