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17 Mar 2023 · 1 min read

“यादों के अवशेष”

“यादों के अवशेष”
उस विशाल वृक्ष के नीचे
न जाने कितने प्रेम परवान चढ़े
कितने किस्से कहे गए,
उसकी छाँव तले अवस्थित
तालाब के निर्मल जल में
न जाने कितने कंकड़ फेंके गए।
वक्त के साथ अजीब हो गया है
अब वहाँ का परिवेश,
अगर कुछ बच गया है तो
सिर्फ यादों के अवशेष।

6 Likes · 4 Comments · 559 Views
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