“यादों की बारात”
“यादों की बारात”
जिसे टूटकर चाहा
वो सितारों में बसी है
जो साथ है मेरे
कश्मकश में फँसी है
ये दर्द की कायनात है
कहीं छुपती ही नहीं
यादों की बारात है
कभी रुकती ही नहीं।
“यादों की बारात”
जिसे टूटकर चाहा
वो सितारों में बसी है
जो साथ है मेरे
कश्मकश में फँसी है
ये दर्द की कायनात है
कहीं छुपती ही नहीं
यादों की बारात है
कभी रुकती ही नहीं।