नाजुक देह में ज्वाला पनपे
हम शरीर हैं, ब्रह्म अंदर है और माया बाहर। मन शरीर को संचालित
*नृत्य करोगे तन्मय होकर, तो भी प्रभु मिल जाएँगे 【हिंदी गजल/ग
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
ठण्डी राख़ - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जल सिंधु नहीं तुम शब्द सिंधु हो।
क्या है खूबी हमारी बता दो जरा,
दर्द भरा गीत यहाँ गाया जा सकता है Vinit Singh Shayar
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
जीवनसंगिनी सी साथी ( शीर्षक)