Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2023 · 1 min read

“आखिरी इंसान”

“आखिरी इंसान”
दुनिया का आखिरी इंसान
सिर्फ वो होगा,
जो फिर से दुनिया बनाने की
काबिलियत रखेगा,
जिसके हाथों में
नहीं होगी कोई रेखाएँ
वो अपनी किस्मत
अपने ही हाथों लिखेगा।

11 Likes · 4 Comments · 247 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
सजदे में सर झुका तो
सजदे में सर झुका तो
shabina. Naaz
मंत्र  :  दधाना करपधाभ्याम,
मंत्र : दधाना करपधाभ्याम,
Harminder Kaur
प्रस्तुति : ताटक छंद
प्रस्तुति : ताटक छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मछली के बाजार
मछली के बाजार
Shekhar Chandra Mitra
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
झूठ की टांगें नहीं होती है,इसलिेए अधिक देर तक अडिग होकर खड़ा
झूठ की टांगें नहीं होती है,इसलिेए अधिक देर तक अडिग होकर खड़ा
Babli Jha
प्रेम समर्पण की अनुपम पराकाष्ठा है।
प्रेम समर्पण की अनुपम पराकाष्ठा है।
सुनील कुमार
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
Atul "Krishn"
सी डी इस विपिन रावत
सी डी इस विपिन रावत
Satish Srijan
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
Arvind trivedi
विषय--विजयी विश्व तिरंगा
विषय--विजयी विश्व तिरंगा
रेखा कापसे
ऋतुराज
ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
ruby kumari
Poem on
Poem on "Maa" by Vedaanshii
Vedaanshii Vijayvargi
नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी
नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
🙏🙏श्री गणेश वंदना🙏🙏
🙏🙏श्री गणेश वंदना🙏🙏
umesh mehra
मैं स्वयं को भूल गया हूं
मैं स्वयं को भूल गया हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
Jitendra Chhonkar
कैसा होगा मेरा भविष्य मत पूछो यह मुझसे
कैसा होगा मेरा भविष्य मत पूछो यह मुझसे
gurudeenverma198
2704.*पूर्णिका*
2704.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वक्त के लम्हों ने रुलाया है।
वक्त के लम्हों ने रुलाया है।
Taj Mohammad
प्रेम एक्सप्रेस
प्रेम एक्सप्रेस
Rahul Singh
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
DrLakshman Jha Parimal
वाणी वंदना
वाणी वंदना
Dr Archana Gupta
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कोई भी रंग उस पर क्या चढ़ेगा..!
कोई भी रंग उस पर क्या चढ़ेगा..!
Ranjana Verma
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
कवि रमेशराज
वो पहली पहली मेरी रात थी
वो पहली पहली मेरी रात थी
Ram Krishan Rastogi
दिलों के खेल
दिलों के खेल
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हमारे जीवन की सभी समस्याओं की वजह सिर्फ दो शब्द है:—
हमारे जीवन की सभी समस्याओं की वजह सिर्फ दो शब्द है:—
पूर्वार्थ
Loading...