यादें
जब खोलता हूँ यह वाटस अप्प ग्रुप
मुस्कान अधर पर छाती है
एक याद सी ताज़ा हो कर फिर
यादों की गली ले जाती है।
मित्रों के बोल मुखर हो कर
कानों में घुल घुल आते हैं
वो पल जो बीत चुके कब के
मुझे बार बार हर्षाते हैं।
मैं फिर यौवन में जाता हूँ
एक चमक नयन में आती है
मित्रों की बातें सुनने को
एक ललक सी मन में छाती है।
गत जीवन जीवित हो कर के
फिर लौट वहीं ले आता है
चल चित्र सा चलता है मन में
कुछ बतियाता और गाता है।
यह स्मरण निरन्तर बना रहे
यह प्रेम निरन्तर बना रहे
यह सांस रहे न रहे तन में
अहसास निरन्तर बना रहे।
सामीप्य सदा आभासित हो
नव दीप चाह का जला रहे
अपनेपन से जलती यह लौ
कभी कभी न मन्द पड़े।
यही मेरी शुभ अभिलाषा है
जीवन की अंतर आशा है।
विपिन