Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2019 · 1 min read

यादें कुछ बातें

इधर उधर खोज रहा था,
उनके चरणों की रज।
लगता ऐसा कल की बात हो,
ढल गए कितने ही सूरज ।।

ये पेड़ ये शिला अब भी खड़े है,
कुछ नही बदला सब जिद पर अड़े है,

वही कुंड वही पानी और मीन,
बचपन से हुआ अब मैं हीन ,

जामुन के पेड़ ऊँचे ऊँचे हो गये,
चारों तरफ हरियाली मन ललचाये,

यह आश्रम बड़ा ही प्यारा,
साधु संतों का वास न्यारा,

कोई न कभी भूखे पेट रहें,
यही महिमा सब कोई कहे,

ज्ञान ध्यान की होती बातें,
सुनहरी बनती मुलाकाते,

तेंदू सीताफल की भरमार,
खाकर खुशी मिले अपार,

हर बरस आता हूँ यहाँ,
करता गुणगान रहूँ जहाँ,

आकर यहाँ भूलते गम सारा,
सभी कहते इसको पनिहारा,
।।जेपीएल।।

Language: Hindi
2 Likes · 436 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
मीठा गान
मीठा गान
rekha mohan
मेरी फितरत ही बुरी है
मेरी फितरत ही बुरी है
VINOD CHAUHAN
अनेकों ज़ख्म ऐसे हैं कुछ अपने भी पराये भी ।
अनेकों ज़ख्म ऐसे हैं कुछ अपने भी पराये भी ।
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चलो प्रिये तुमको मैं संगीत के क्षण ले चलूं....!
चलो प्रिये तुमको मैं संगीत के क्षण ले चलूं....!
singh kunwar sarvendra vikram
तेरी धरा मैं हूँ
तेरी धरा मैं हूँ
Sunanda Chaudhary
अजनबी बनकर आये थे हम तेरे इस शहर मे,
अजनबी बनकर आये थे हम तेरे इस शहर मे,
डी. के. निवातिया
किताब
किताब
Lalit Singh thakur
*कभी तो खुली किताब सी हो जिंदगी*
*कभी तो खुली किताब सी हो जिंदगी*
Shashi kala vyas
*॥ ॐ नमः शिवाय ॥*
*॥ ॐ नमः शिवाय ॥*
Radhakishan R. Mundhra
*पुण्य कमाए तब मिले, पावन पिता महान (कुंडलिया)*
*पुण्य कमाए तब मिले, पावन पिता महान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
विडंबना
विडंबना
Shyam Sundar Subramanian
मधुर व्यवहार
मधुर व्यवहार
Paras Nath Jha
#अबोध_जिज्ञासा
#अबोध_जिज्ञासा
*Author प्रणय प्रभात*
मानवता हमें बचाना है
मानवता हमें बचाना है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बदल देते हैं ये माहौल, पाकर चंद नोटों को,
बदल देते हैं ये माहौल, पाकर चंद नोटों को,
Jatashankar Prajapati
जीवन
जीवन
Monika Verma
तू सरिता मै सागर हूँ
तू सरिता मै सागर हूँ
Satya Prakash Sharma
क्या बचा  है अब बदहवास जिंदगी के लिए
क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
You are the sanctuary of my soul.
You are the sanctuary of my soul.
Manisha Manjari
यादों पर एक नज्म लिखेंगें
यादों पर एक नज्म लिखेंगें
Shweta Soni
मेरी बेटी मेरी सहेली
मेरी बेटी मेरी सहेली
लक्ष्मी सिंह
वो बचपन था
वो बचपन था
Satish Srijan
तेरी यादों में लिखी कविताएं, सायरियां कितनी
तेरी यादों में लिखी कविताएं, सायरियां कितनी
Amit Pandey
रात का आलम किसने देखा
रात का आलम किसने देखा
कवि दीपक बवेजा
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
नींद आने की
नींद आने की
हिमांशु Kulshrestha
एक कहानी- पुरानी यादें
एक कहानी- पुरानी यादें
Neeraj Agarwal
" तू "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...