यह मत भूलों हमने कैसे आजादी पाई है
यह मत भूलो तुम सब बच्चों,
हमने कैसे यह आजादी पाई है?
कितने कष्ट और पीड़ा के बाद
हमें यह शुभ घड़ी मिल पाई है।
इस आजादी के लिए तुम मत पूछो
हमनें कितने अनमोल रत्न गँवाई है।
भूखे-प्यासे नंगे पांव,
हमारे देश के वीरों और वीरांगनाओं ने,
अग्रेंजो से की लड़ाई है।
कितने वीरों के बलिदानियों के बाद
हमें आजादी मिल पाई है।
इस घड़ी को पाने के लिए
कितने ही माँ ने हँसते-हँसते
अपने बेटों की बली चढ़ाई है।
कितने स्त्रियों ने अपनी
सुहाग की चूड़ियाँ उतरवाई है।
कितने बहनों ने आजादी की कीमत
राखी वाली भाई की जान से चुकाई है।
इस आजादी के लिए हमारे कई वीरों ने
हँसते-हँसते फाँसी को गले लगाई है।
कितने ही वीरों ने अपने सीने पर
अंग्रेजो की गोलियाँ खाई है।
मत भूलो तुम जलियांवाला कांड,
जिसमें अंग्रेजो ने अपनी हैवानित दिखाई थी।
औरतों, बच्चों, बुढों और नौजवानों पर
अंग्रेजो ने बेहिसाब गोलियाँ बरसाई थी।
भूनकर गोलियों से हमारे देश के लोगों को
उस जलियांवाला बाग में लाशों की ढेर बिछाई थी।
आज भी उस हैवानित को याद कर
सहम जाता है इतिहास।
इस आजादी को संभाल कर रखो तुम बच्चों,
अपार दर्द के बाद हमें यह मिल पाई है।
याद करो आज अपने शहीदों को,
जिन्होनें अपनी जान देकर उपहार स्वरुप,
हमें यह आजादी दिलाई है।
आओ मिलकर याद करे हम स्वतंत्रता सेनानियों को,
उन वीर शहीदों को,
जिनकी बदौलत हमने यह स्वतंत्रता पाई है।
अनामिका