“यह दौर है बराबरी का”
शायराना अंदाज में शुरू हुआ हमारा अफसाना
इजहारे इश्क में बेतहाशा मोहब्बत बनी नजराना
तेरी चाहत में गमों को भुलाकर लिखने लगी दिल की नई दास्तां
उम्मीदों के पंख फैलाए साथ तेरे महकाएं ये खूबसूरत गुलिस्तां
मोहब्बतें इश्क में गुजरते रहे हम तुम यूं तमाम इम्तहानों से
हमारी सच्ची मोहब्बत के सहारे लड़ते रहे इन लड़खड़ाते तुफानों से
भले ही जिंदगी की राहों में साथ न निभाए यह बेरहम जमाना
हमें तो हमेशा की तरह पतवार बन इस नैय्या को है पार लगाना
पूरी हों हसरतें इस खूशनसीब जिंदगानी में
रहे आबाद रिश्ता तेरा-मेरा बराबरी के दौर की कहानी में
आरती अयाचित
भोपाल