यह दुनिया
यह दुनिया
खोया पाया केंद्र है
खिलौना बनानें, बेचने और तोड़ने की दुकान है
लाभ हानि , सुख दुःख दिन रात का पहिया है
पुन्य पाप कमानें का साधन है
झूठा सपना है, जहां कोई नहीं अपना है
व्यापार है, बाजार है, कर्तव्य और अधिकार है
ठिकाना है,जिसे छोड़कर जाना है
कुरुक्षेत्र का मैदान है, जहां देनी जान है
सूरज है चांद है, धरती आसमान है
रास्ता है,जिसका ईश्वर से वास्ता है
स्वर्ग है, नर्क है,सोच का फर्क है
धरती गोल है, अनमोल है
धरती में जीव है, दुनिया की नींव है