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16 May 2024 · 1 min read

*यह कैसा न्याय*

यह कैसा न्याय

कहीं है अति का सागर,
कहीं बिलखती भूख अपार।

ना उन्हें पता क्षुधा होती है क्या,
ना इन्हें पता तृप्ति चीज है क्या।

कर्मों के सब लेख हैं ये,
कोई फेंके कोई बीने खाए।
आभा पाण्डेय

Language: Hindi
1 Like · 24 Views
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