यही है मेरा संसार
मुझको वास्ता नहीं तुम्हारी फौज से,
ना ही मैं डरता हूँ अपनी फौत से,
मेरा कुरुक्षेत्र अलग ही है,
जहाँ चलते हैं गीता के उपदेश।
ना मेरा रिश्ता है तुम्हारी चौपाल से,
मेरी महफ़िल तो तुमसे अलग है,
जिसमें होती है राम और सीता की बातें।
यह तुम्हारी वादी शबाब की,
यह तुम्हारी सोहबत शराब की,
मेरे जीवन का गुलिस्तां नहीं है।
मेरी दुनिया तो अलग ही है,
जहाँ है शान्ति और अहिंसा।
यह तुम्हारी बस्ती स्वर्ग नहीं है मेरा,
मेरा स्वर्ग तो सिर्फ वहाँ है,
जहाँ है बच्चों की मुस्कान।
क्योंकि बच्चें कभी झूठ नहीं बोलते हैं,
चाहे ये उम्र में कच्चे हैं,
लेकिन मन के सच्चे हैं ये बच्चें।
यही तो भारत का भविष्य,
यही है मेरा संसार, मेरा परिवार,
और इन्हीं के बीच मैं रहता हूँ मस्त।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)