यथार्थ*
चींटी ऐसी सूक्ष्म जीव जो देती जीने की राह
निज पथ पर मनुष्य बढ़े कैसे
हमको देती है सिखला
पथ एक मनुष्य का कर्तव्य पूर्ण
अनुशासन में जीवन जो चला
प्राप्त करे उद्देश्य वही बता रही चींटी सदा
चींटी ऐसी सूक्ष्म जीव जो देती जीने की राह
एक पथिक उद्देश्य जानकर
कर्तव्य पथ पर कैसे चले?
चींटी के इस अवधारण को
कब तक मनुष्य हृदय में रखे?
जो है सदैव अहंकार रहित
जीवन की इन कठिनाई में
वही मनुष्य पता है मंजिल
खुशहाल, सरल जीवन सहित
पाए वही ईश्वर की कृपा हमको देती है बतला
चींटी ऐसी सूक्ष्म जीव जो देती जीने की राह
एकाग्र मन से लक्ष्य साधकर
जीवन पथ पर बढ़ते चलो
मंजिल कितनी भी दूर हो
ना पथ बदले ना निराश हो
यही हमारी कठिन साधना
साधक को समझा रही
चींटी ऐसी सूक्ष्म जीव जीवन का राह बता रही