यक्षिणी-24
खुदाई में एक मूर्ति मिली
मूर्ति जनानी सी
बताया पारखी लोगों ने
जनानी मनुष्य नहीं मनुष्येतर प्राणी वह
यक्ष कोटि की
देह उसकी स्त्री की
देह सहज नहीं सजीली बल्कि
कटि पतली उसकी बदन भारी भरा गदराया हुआ
वक्ष पुष्ट खुले ऐसे कि
कवि मन
मन की चिकित्सा करने वाला भी
मनोरोगी हो जाए
लिख जाए सेक्स कुंठा में दंडवत हो
यक्षिणी–पोथी
और
अपनी अपरिमित संचरित सेक्स कुंठा संग
तद्धर्मा संस्कृति मोह को भुना ले जाए!