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31 Jan 2024 · 1 min read

यक्षिणी – 2

यक्ष यक्षिणी एक मिथकीय कल्पना है
न जाने किस खुराफ़ाती ने सिरजा इसे
किसने फिर प्रस्तर पर दिया इसे उतार
उतारने में यक्ष को दिया बिसार
और यक्षिणी को गहरे नमूदार
और उभारा केवल उसके पुरुष-प्रिय स्त्री लिंगी मूरत को मूरत में बसा सुडौल देहयष्टि वाली सूरत

यक्षिणी आज भी जीवित है
कला में
तो यह कलाकारी है उसके खयाली पुलाव पकावक स्रष्टा की
बलिहारी है उसकी जहाँ-तहाँ मुंह मारने वाली
दूषित देहदृष्टि की!

Language: Hindi
161 Views
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