यक्षिणी-16
कवि
सरेराह सजाई जिस्म में
रखी तूने
तेरी प्रशंसा प्राप्त यक्षिणी की जगह
तो पुराख्याल तू!
पुरख्याल हो बता
तेरे अपने घर में पैसी छवि कैसी है यक्षिणी की
पत्नीरूपा
मां या पुत्रीस्वरूपा
या भक्ष्य भोग्या…?
कवि
सरेराह सजाई जिस्म में
रखी तूने
तेरी प्रशंसा प्राप्त यक्षिणी की जगह
तो पुराख्याल तू!
पुरख्याल हो बता
तेरे अपने घर में पैसी छवि कैसी है यक्षिणी की
पत्नीरूपा
मां या पुत्रीस्वरूपा
या भक्ष्य भोग्या…?