यकीन रख
एक दिन मिलने तुमसे जरूर आऊंगा
यकीन रख जरा
तुम्हें लिखकर भी भूल नहीं पाऊंगा।
जब रूहें मर्माहत होंगी
जब-जब दर्द की आहट होंगी
तो हवाओं में फैली खुशबुओं की तरह
तुम्हें चुपके से स्पर्श कर जाऊंगा,
देख लेना एक दिन
तुम्हें लिखकर भी भूल नहीं पाऊंगा।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।