मौसम तो सर्दी का इश्क के शोले भड़क रहे है
मौसम तो सर्दी का इश्क के शोले भड़क रहे है
मौसम तो सर्दी का,इश्क के शोले भड़क रहे है,
उधर वो भी बेचैन है,इधर हम भी तड़फ रहे है।
इस बेचैनी व तड़फन का निदान करें हम कैसे ?
ये बादल और बदली हमारे रास्ते मे बरस रहे है।।
हे! बादल और बदली,जरा थमके बरसो,।
जब आ जाये मेरे बालम जरा जमके बरसो।
वे जा न सके इस ठण्डी सर्दी के मौसम मे,
और हम दुबके रहे दोनों इस रजाई कई वर्षो।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम