*मौन*
अभिव्यक्ति का सबसे गहरा माध्यम है मौन।
मौन से जो हम कह सकते हैं ।
वो शब्दों द्वारा नहीं कह सकते ।।
क्योंकि, शब्दों की कमी ही मौन को जन्म देती है ।
और वहां व्यक्ति का मौन ही सारे सवालों का जवाब
बन जाता है ।।
मौन में जो गंभीरता होती है,वो समुद्र सी होती है ।
जैसे समुद्र जहां बहुत गहरा होता है ।
वहां सबसे ज्यादा शांत होता है ।।
इसी तरह जब व्यक्ति के अंदर,
ऐसी गहरी बात होती है ।
जिसके लिए शब्द कम पड़ जाते हैं।।
तब वह मौन धारण करता है ।
मौन अंदर के घुटन को भी व्यक्त करता है ।।
और मौन ऐसे जवाब को भी व्यक्त करता है।
जो सवाल पर हावी हो जाता है ।।
जब कोई साथ नहीं देता ।
तब यही मौन साथ देता है ।।
बहुत दुःख भी मौन को जन्म देता है ।
बहुत आत्मिक शांति भी मौन को जन्म देती है ।।
असल में व्यक्ति का अंतिम लक्ष्य ही, मौन को प्राप्त करना है ।
क्योंकि, जब ब्रह्म का आत्मसात् होता है ।
तभी मौन का प्रकाश फूटता है ।।
फिर कुछ बचता नहीं ।
क्योंकि, ब्रह्म सिर्फ मौन से व्यक्त हो सकता है ।
शब्द से नहीं ।।
✍️ प्रियंक उपाध्याय