मौन प्रश्न
माना कोई वादा नहीं किया था
ना खाई थी कसमे
पर कुछ तो था हमारे बीच
बिना कहे तेरा सब समझ जाना
आंखों में आंसू देख झठ से हंसाना!
अब पहले जैसी बात नहीं
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं
तू दूर है अब पास नहीं
अजीब कशमकश है
कुछ अधूरापन है
आंखों में आंसू
होठों पर मुस्कान है
मन में हजारों सवाल है
भीड़ में अकेलापन
बस तेरा इंतजार है
पूछना था कुछ तुमसे…
दोबारा हमसे मिलोगे क्या
जो रह गया अधूरा
उसे पूरा करोगे क्या
कब तक करू इंतजार
इंतहा हो गई
बताओ ना
दोबारा हमसे मिलोगे क्या
बिताए थे जो साथ लम्हे
उन्हें दोबारा जिओगे क्या
दोबारा हमसे मिलोगे क्या!