मौन की सरहद
मौन-व्रत रखने से व्यर्थ नष्ट होने वाली शक्ति संचित होती है। जब मन अविश्वास और असफलता से दुर्बल हो उठे, तब मौन ही शक्ति देता है।
यदि मौन रहने का कारण समझ-शक्ति का अभाव हो तो थोड़ी देर मौन रहकर सोच लेना बेहतर है कि क्या कहें। लेकिन बिना जरूरत बोल पड़ने का पश्चाताप उतना कभी नहीं होता, जितना जरूरत होते हुए चुप रह जाने का।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
टैलेंट आइकॉन : 2022-23