मौत
मौत सच्चाई है यारो सच का
यकीन करना सीखो जिंदगी जीना
सीखो फरेब की दुनियां से बाहर
निकलना सीखो।।
मां बाप को चिते पर खुद लिटाया अपने हाथों जलाया फिर भी रहता नहीं सच का भान सच के साथ जीना सीखो।।
इर्द गिर्द ही घूमती सच्चाई से भागता क्यों कभी दूर कभी पास
आते मौत से डरता क्यो है मौत ही महबूबा कितना भी भागो गले
लगाती मौत से ऊंचा निकलना सीखो।।
मौत सिर्फ काया करती स्वाहा
मौत के बस में नहीं तारीख के
इंसान को जला सके दफन कर सके ये तारीख बनाना बदलना सीखो।।
मौत के बाद भी जिंदा रहोगे गर
वक़्त कि पहचान बन गए अपने
वर्तमान में नया इतिहास रच गए
जिंदगी के लम्हों में नई इबारत
गढ़ना सीखो।।
आने वाले वक्त के लम्हों को अपने होने का एहसास दे गए
खुद के होने का इतवार करना सीखो।।
जिंदगी के हर लम्हे को जिंदा बन
कर जियो इंसानियत कि इबादत
में खुदा भगवान को खोजो मिल
जायेगा किसी न किसी शक्ल में
मौत कि परछाई से आगे निकलना
सीखो।।
रेगिस्तान में प्यासे हिरन सा इधर उधर भागना छोड़ो मौत सच्चाई पास हो या दूर होना ही होता एक न एक दिन रूबरू सच से डरना
नहीं सच का सत्यार्थ जहा में बनाना सीखो।।