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6 Jul 2016 · 1 min read

मोहिनी सूरत……….

मोहिनी सूरत……….

देख के उसकी मोहिनी सूरत, फूल भी खिलना भूल गये !
ख्वाबो में उसके ऐसा उलझे, खुद से मिलना भूल गये !!

कब आई और वो आकर चली गई
उसे देख आँखे से ज्योति चली गई
न जाने कैसा जादू उसने फेरा
कि हम जगह से हिलना भूल गये !!

देख के उसकी मोहिनी सूरत, फूल भी खिलना भूल गये !
ख्वाबो में उसके ऐसा उलझे, खुद से मिलना भूल गये ।।

वो सांवरी – सलोनी सी थी
चंचल चितवन स्वामिनी थी
पास से गुजरी जब दामिनी सी
हम साँसे गिनना भूल गये !!

देख के उसकी मोहिनी सूरत, फूल भी खिलना भूल गये !
ख्वाबो में उसके ऐसा उलझे, खुद से मिलना भूल गये !!

खुदा की नायाब जादूगरी,
थी उसमे कूट – कूट भरी
ऩजरे उठाकर जिसने भी देखा
फिर वो रब से मिलना भूल गये !!

देख के उसकी मोहिनी सूरत, फूल भी खिलना भूल गये !
ख्वाबो में उसके ऐसा उलझे, खुद से मिलना भूल गये !!

!
!
!
डी. के. निवातियाँ _________@

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Comments · 785 Views
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