मोहब्बत
कुंडलियाँ छंद
जग में अनुपम प्यार है,सबको कहाँ नसीब
पाते बड़े सुभाग से, दौलतमंद गरीब
दौलतमंद गरीब सभी को प्यार सुहाए
लोभी कामी क्रूर कभी भी प्यार न पाए
कह कविवर’मनमीत’ प्यार जब होगा रग में
तभी मिलेगा प्यार, सभी को हरपल जग में
आएँ बाँटें प्यार को, प्यार बहुत अनमोल
जगमग जग हो प्यार से, बाँटे तनमन खोल
बाँटें तनमन खोल, सभी जड़ बंधन काटें
भर समरसता भाव, भेद की खाई पाटें
कह कविवर मनमीत, प्यार का बीज उगाएँ
प्यार बढ़ाए मान, प्यार हित आगे आएँ।।
सारे जग में प्यार से, बढ़ता है सम्मान
बिना प्यार के हर कहीं,मिलता है अपमान
मिलता है अपमान कभी मत करें बुराई
छोड़ राग औ द्वेष प्यार से करें भलाई
कह कविवर ‘मनमीत’ वहीं किस्मत के मारे
मिले न प्यार दुलार मूढ़ मति जितने सारे।।
डॉ. छोटेलाल सिंह मनमीत