मोहब्बत रंग
******* मोहब्बत रंग ********
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ये मोहब्बत क्या रंग लाएगी
आखिर हमें कब तक तड़फाएगी
आँधियाँ साथ ले जाएं सब कुछ
ये क्या निशान छोड़ कर जाएंगी
दुनियां होती दिल की बहुत काली
कब तक हमको यूं ही छलाएगी
जमाने के होते है रंग हजार
किस रंग मे हमें रास आएगी
हासिल न होता मुकम्मल जहान
जिन्दगी कुछ हासिल कर पाएगी
शमां पर परवाने जलते आए
रोशनी कुछ पल तो रह पाएगी
फूल खिलते ही मुरझा जाते हैं
क्या कली सदा ही खिल पाएगी
चाँद होता सुंदर , शांत ,शालीन
चाँदनी क्या शालीन कर पाएगी
मनसीरत इश्क खुमारी जुनून
दर्द ए सुकून दिला पाएगी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)