मोहब्बत कि बाते
मोहब्बत कि बाते
फ़िर किसी याद ने रातभर है जगाया मुझको,
क्या सज़ा दी है मोहब्बत ने ख़ुदाया मुझको,
दिन को आराम है ना रात को है चैन कभी
जाने किस ख़ाक से ख़ुदा ने बनाया मुझको,
दुःख तो ये है के ज़माने में मिले हैं गैर सभी
जो मिला है वो मिला बन के पराया मुझको,
जब कोई भी ना रहा कन्धा मेरे रोने के लिए
घर की दीवारों ने सीने से है लगाया मुझको,
अब तो उम्मीद ए वफ़ा तुमसे नहीं है कोई
फ़िर चिराग़ों की तरह क्यों जलाया मुझको,
कैसे भूलूँगा मैं तुम्हारे साथ वो गुज़ारे लम्हें
याद आता रहा ज़ुल्फ़ों का ही साया मुझको,
बेवफ़ा ख़्वाबों ने तो छोड़ ही दिया है तन्हां
मौत ने प्यार से पहलू में है बिठाया मुझको,
वो दीया हूँ जो मोहब्बत ने जलाया था कभी
ग़म की आंधी ने सुबह शाम बुझाया मुझको,
💟लव यू ज़िन्दगी💟मिस यू ज़िन्दगी💟