समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।
अगर मन वचन और कर्मों में मर्यादा न हो तो
Yaade tumhari satane lagi h
Affection couldn't be found in shallow spaces.
"पुरे दिन का सफर कर ,रवि चला अपने घर ,
हर इन्सान परख रहा है मुझको,
स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद
सुंदरता का मोह माया त्याग चुके हैं हम
एक विज्ञापन में दिखाए गए "तानसेन" के अलाप को सुन कर लगता है
*जिंदगी मुझ पे तू एक अहसान कर*
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कभी-कभी मुझे यूं ख़ुद से जलन होने लगती है,
लड़कियां जिसका भविष्य बना होता है उन्हीं के साथ अपना रिश्ता
वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
"नग्नता, सुंदरता नहीं कुरूपता है ll
बावजूद टिमकती रोशनी, यूं ही नहीं अंधेरा करते हैं।
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
*पल-भर में खुश हो गया, दीखा कभी उदास (कुंडलिया)*