“मोल”
“मोल”
कमबख्त पानी का भी तो
कुछ ऐसा ही हाल है
वो समन्दर में पड़ा रह जाता है,
जब आग या प्यास हो तो
उसके बूंद-बूंद का मोल
संसार को समझ में आता है।
“मोल”
कमबख्त पानी का भी तो
कुछ ऐसा ही हाल है
वो समन्दर में पड़ा रह जाता है,
जब आग या प्यास हो तो
उसके बूंद-बूंद का मोल
संसार को समझ में आता है।