“मोल”
“मोल”
रेत स्वीकारती है
सहज भाव से
योग और प्रेम दोनों को
कि समझ सके मानव
दोनों का मोल,
रिश्ता तूफान से हो
कि पुरवाई से
होते सदा अनमोल।
“मोल”
रेत स्वीकारती है
सहज भाव से
योग और प्रेम दोनों को
कि समझ सके मानव
दोनों का मोल,
रिश्ता तूफान से हो
कि पुरवाई से
होते सदा अनमोल।