मोबाइल
ऐसा ताकतवर
हो चला है
मोबाइल
इंसान की
कोमलता
मटियामेट
कर चला है
मोबाइल।
विचारों में
आ रहा
नकारात्मक
बदलाव
झुंझलाहट,
चिड़चिडेपन से
भर चला है
मोबाइल।
सुबह से
शाम
मोबाइल के
गुलाम
हमारी सरलता
को
चर चला है
मोबाइल।
रिश्तों की
मिठास का
कोई मोल नहीं रहा
आदमी को
अकेला सा
कर चला है
मोबाइल।
डा.पूनम पांडे