Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2020 · 1 min read

“मै पुरुष हूं”

रो नहीं सकता मै,
अश्कों को पीता हूं।
मै पुरुष हूं,सब कुछ ,
बड़ी आसानी से सहता हूं।
कभी बेटा,भाई , तो कभी,
बाप बनता हूं ।
मै सभी के जज्बातों,
का हिसाब बनता हूं
बिना कुछ कहे ,
मैं अपनी धुन में जीता हू
मैं पुरुष हूं सब कुछ ,
बड़ी आसानी से सहता हूं
मां और पत्नी के बीच ,
अक्सर फस जाता हूं।
और किसी का भी पक्ष लूं *
तो मैं ही बुरा कह लाता हूं
दरख़्तों की तरह,
ख़ामोशी से जीता हूं
मैं पुरुष हूं सब कुछ ,
बड़ी आसानी से सहता हूं
बचपन से बुढ़ापे तक
जिम्मेदारी उठाता हूं
बच्चों की परवरिश ,उनकी खुशी,
उनके सपनों का बीड़ा उठाता हूं
सबको मान कर अपना ,
खुद को भूलकर जीता हूं
मैं पुरुष हूं सब कुछ
बड़ी आसानी से सहता हूं

Language: Hindi
5 Likes · 6 Comments · 299 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन की यह झंझावातें
जीवन की यह झंझावातें
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
सभी नेतागण आज कल ,
सभी नेतागण आज कल ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
शिलालेख पर लिख दिए, हमने भी कुछ नाम।
शिलालेख पर लिख दिए, हमने भी कुछ नाम।
Suryakant Dwivedi
*सावन का वरदान, भीगती दुनिया सूखी (कुंडलिया)*
*सावन का वरदान, भीगती दुनिया सूखी (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
sudhir kumar
⚜️गुरु और शिक्षक⚜️
⚜️गुरु और शिक्षक⚜️
SPK Sachin Lodhi
मिट्टी के परिधान सब,
मिट्टी के परिधान सब,
sushil sarna
"ग्लैमर"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन
जीवन
Bodhisatva kastooriya
दुःख,दिक्कतें औ दर्द  है अपनी कहानी में,
दुःख,दिक्कतें औ दर्द है अपनी कहानी में,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
Satya Prakash Sharma
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
पूर्वार्थ
मांओं को
मांओं को
Shweta Soni
दिखावा
दिखावा
Swami Ganganiya
आलस्य का शिकार
आलस्य का शिकार
Paras Nath Jha
बंगाल में जाकर जितनी बार दीदी,
बंगाल में जाकर जितनी बार दीदी,
शेखर सिंह
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हम कितने चैतन्य
हम कितने चैतन्य
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
माया
माया
Sanjay ' शून्य'
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं
Ram Krishan Rastogi
चौपाई छंद में मान्य 16 मात्रा वाले दस छंद {सूक्ष्म अंतर से
चौपाई छंद में मान्य 16 मात्रा वाले दस छंद {सूक्ष्म अंतर से
Subhash Singhai
Mera wajud bus itna hai ,
Mera wajud bus itna hai ,
Sakshi Tripathi
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
जगदीश शर्मा सहज
स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।
स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।
surenderpal vaidya
हे मृत्यु तैयार यदि तू आने को प्रसन्न मुख आ द्वार खुला है,
हे मृत्यु तैयार यदि तू आने को प्रसन्न मुख आ द्वार खुला है,
Vishal babu (vishu)
*
*"गंगा"*
Shashi kala vyas
■ सावधान...
■ सावधान...
*Author प्रणय प्रभात*
मुस्कुराने लगे है
मुस्कुराने लगे है
Paras Mishra
नज़ारे स्वर्ग के लगते हैं
नज़ारे स्वर्ग के लगते हैं
Neeraj Agarwal
💐प्रेम कौतुक-416💐
💐प्रेम कौतुक-416💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...