मै तुम्हे कैसे बताउ/मंदीप
मै तुम्हे कैसे बताऊ/मंदीप
है तुम से कितनी चाहत मै तुम्हे कैसे बताऊ।
करता दिल मेरा अपने आप से बात तुम्हारी मै तुम्हे कैसे बताऊ।
अब तो गिरने लगे मेरी आँखो से आँसू,
हर आँसुओ में तुम हो मै तुम्हे कैसे बताऊ।
करता प्यार तुम को खुद से बढ़ कर,
मुझे जताना नही आता मै तुम्हे कैसे बताऊ।
राते दोगुनी हो जाती बिना तुम्हारे,
आजकल दिन भी होते लम्बे मै तुम्हे कैसे बताऊ।
रहता हर पल तुम्हारा नशा आँखो में,
लाल हुई मेरी आँखे में तुम हो मै तुम्हे कैसे बताऊ।
मिलोगे तुम मुझे कभी न कभी एक दिन,
इसी चाहत में मै अपने दिल को कब तक समझाऊ।
कर दिया सब कुछ कुर्बान तुम्हारी हसरत में,
“साई”अब तुम ही बताओ मै और अपने आप को कितना गिराऊ।
मंदीपसाई