Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jan 2024 · 3 min read

ट्रेन का रोमांचित सफर……..एक पहली यात्रा

शीर्षक – ट्रेन का रोमांचित सफर
*************************
आज हम सभी शीर्षक ट्रेन का रोमांचित सफर पढ़ रहे हैं सच तो ट्रेन का सफर बहुत रोमांचित के साथ साथ रोमांटिक और आरामदायक भी होता है क्योंकि हम सभी ट्रेन में एक घर की तरह का एहसास करते हैं जैसा कि हम किसी सम्मिलित परिवार में रह रहे हो आजकल तो सम्मिलित परिवार खत्म से हो चुके हैं परंतु ट्रेन का रोमांचित सफर मुझे कुछ ऐसा ही नजर आता है जहां हम अजनबियों को भी अपना बना लेती है भला ही वह कुछ देर का सफल होता है फिर भी हमारे जीवन में कुछ यादें और कुछ प्रेरणा दे जाता है आज हम ऐसे ही रोमांचित सफर के विषय में लिख रहे हैं आशा है हमारे पाठ को अपने किरदार के साथ आज की कहानी ट्रेन का रोमांचित सफर कल्पना और सच के साथ जरूर पसंद आएगा और वह अपनी प्रतिक्रिया से हमेशा की तरह मेरी कल्पना और सच की आधार पर लिखी कहानी शब्दों को सहयोग करेंगे आओ पढ़ते हैं हम ट्रेन का रोमांचित सफर….…………..
रजनी और नितिन की शादी को अभी कुछ वर्ष हुए थे और बहुत मुश्किल में उनके यहां एक छोटी सी सुंदर कन्या ने जन्म लिया और उसे कन्या की जन्म से रजनी और नितिन बहुत खुश थे क्योंकि रजनी और नितिन बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं समझती थी और ना ही उनकी मानसिकता बेटा बेटी के भेदभाव को सोचती थी और रजनी और नितिन और उनकी छोटी सी फूल की बेटी मनिका के जन्म से तीनों का परिवार ऐसा लगता था की परिवार पूरा हो गया।
समय बीत जाता है धीरे-धीरे मनिका दो तीन साल की हो जाती है और वह अब अपनी तोतली आवाज में सब का मन मोह ली थी और सभी को अपनी मुस्कान से अपनी बातों से अपना बना लेती थी लेकिन और इतनी भी अपनी बेटी मनिका के साथ बहुत खुश थे। रजनी ने एक मन्नत मांगी थी कि जब उसके कोई संतान हो जाएगी तो वह माता रानी के दर्शन करने आएगी और उसने उसे मन्नत को पूरा करने के लिए आज ट्रेन की तीन टिकट बुक कर आए थे और वह मन्नत पूरा करने के लिए ट्रेन से उसे तीर्थ स्थल पर जा रही थी और मनिका की यह पहली यात्रा ट्रेन की थी।
ट्रेन का रोमांचित सफर मणिका के लिए सबसे ज्यादा रोमांचक और रोमांटिक था। क्योंकि बच्ची को खुश रहनी है और सबसे मिलना और रोमांटिक था और उसका यह सफर ट्रेन में लंबी गैलरी सबके पास दौड़-दौड़ के भाग के घूमने रोमांचक करता था आप रजनी और मनिका के साथ नितिन अपनी अपनी सीटों पर आकर बैठ जाते हैं और पानी का को कहते हैं मनिका देखो यह ट्रेन है यहां कहीं इधर-उधर नहीं जाना मनिका अपनी तोतली आवाज में रहती है यस पापा यस मॉम और इस सीटों के पास और भी यात्री यात्रा कर रहे होते हैं और वह उसकी तोतली आवाज को सुनकर बहुत खुश होते हो रहे होते हैं अब रजनी नितिन और मोनिका का ट्रेन का रोमांचित सफर शुरू होता है।
मनिका का ट्रेन का रोमांचित सफर एक सच और बहुत बढ़िया और पहला सफर था। मनिका अपनी खिड़की के पास बैठकर बाहर के नए-नए नजरी देख रही थी और बातों बातों में पापा मम्मी से यह भी पूछ रही थी मम्मी यह पेड़ पौधे हमेशा चल रहे हैं तो मम्मी पापा के साथ-साथ ट्रेन में बैठे और भी जाती खूब हंस रहे थे और ट्रेन का रोमांचित सफर का आनंद ले रहे थे सच तो जीवन में ट्रेन का रोमांचित सफर एक जीवन में मंज़िल की तरह ही होता हैं।
और ट्रेन का रोमांचित सफर बातों बातों में दिन रात में हंसते खेलते मनिका रजनी और नितिन का सफर पूरा होता है और माणिक फिर पूछती है अपने पापा मम्मी से हम ट्रेन का रोमांचित सफ़र फिर कब करेंगे मम्मी तब मम्मी हंसते हुए जवाब देती है बेटी बहुत जल्दी हम ट्रेन का रोमांचित सफ़र फिर करेंगे और अपने घर की ओर रवाना हो जाते हैं।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
92 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
Bhupendra Rawat
मैं पुरखों के घर आया था
मैं पुरखों के घर आया था
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
Desert fellow Rakesh
ढूंढ रहा है अध्यापक अपना वो अस्तित्व आजकल
ढूंढ रहा है अध्यापक अपना वो अस्तित्व आजकल
कृष्ण मलिक अम्बाला
बिहार क्षेत्र के प्रगतिशील कवियों में विगलित दलित व आदिवासी चेतना
बिहार क्षेत्र के प्रगतिशील कवियों में विगलित दलित व आदिवासी चेतना
Dr MusafiR BaithA
"प्लीज़! डोंट डू
*Author प्रणय प्रभात*
21)”होली पर्व”
21)”होली पर्व”
Sapna Arora
एक नज़्म - बे - क़ायदा
एक नज़्म - बे - क़ायदा
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*शादी को जब हो गए, पूरे वर्ष पचास*(हास्य कुंडलिया )
*शादी को जब हो गए, पूरे वर्ष पचास*(हास्य कुंडलिया )
Ravi Prakash
बाल कविता: नदी
बाल कविता: नदी
Rajesh Kumar Arjun
💐Prodigy love-2💐
💐Prodigy love-2💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आजकल गरीबखाने की आदतें अमीर हो गईं हैं
आजकल गरीबखाने की आदतें अमीर हो गईं हैं
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
नववर्ष
नववर्ष
Neeraj Agarwal
टूटेगा एतबार
टूटेगा एतबार
Dr fauzia Naseem shad
दर्पण
दर्पण
Kanchan verma
"कुछ रास्ते"
Dr. Kishan tandon kranti
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा  है मैंने
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा है मैंने
शिव प्रताप लोधी
वीर हनुमान
वीर हनुमान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
Kanchan Khanna
अदब
अदब
Dr Parveen Thakur
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
Shyam Sundar Subramanian
और क्या कहूँ तुमसे मैं
और क्या कहूँ तुमसे मैं
gurudeenverma198
जो होता है सही  होता  है
जो होता है सही होता है
Anil Mishra Prahari
2441.पूर्णिका
2441.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
थोड़ा विश्राम चाहता हू,
थोड़ा विश्राम चाहता हू,
Umender kumar
मैं ढूंढता हूं जिसे
मैं ढूंढता हूं जिसे
Surinder blackpen
Not longing for prince who will give you taj after your death
Not longing for prince who will give you taj after your death
Ankita Patel
जाते-जाते गुस्सा करके,
जाते-जाते गुस्सा करके,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हे गर्भवती !
हे गर्भवती !
Akash Yadav
Loading...