मैं हूं ना
निकली थी अकेली जिंदगी के सफ़र में,
मिल गया एक प्यारा सा हमसफर रास्ते में।
होंठो की हंसी पहचान लेता है असली है या नकली,
कहता है क्यों फिकर है करती ।
मैं हूं ना जिंदगी के सफ़र में अब तू नहीं है अकेली।
बोलने से पहले जान जाता है क्या मन में है मेरे,
दुनिया की परवाह किए बगैर ।
हर वक्त खुश रखे मुझे, बना दिया है मेरा नसीब,
पता नही वो कौन सी थी घड़ी जब मै आपके,
नसीब से जुड़ी।
मैं हूं ना सिर्फ फिल्मी दुनिया में देखा था,
न प्यार पर विश्वास था, न चाह थी चांद,
तारों की।
पर हमसफर ऐसा मिला की तमन्ना न रही ,
अब ख्वाब हज़ारों कि।
दुआ हर वक्त करते हैं उस रब से,
खुश रखना मेरे अल्बेले से सनम को।
चाहे बदले में मेरी सांसों को ले लेना मुझ से।