Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jan 2018 · 1 min read

मैं हूँ माँ

मन के भाव ………

माँ
समाहित सकल ब्रम्हान्ड
साँसों की गति ,लय ,ताल
तू जीवन आधार |
ममत्व की असंख्य लहरें ,
आलोड़ित हों मुझमें ,
भरती हैं प्राण |
दशो दिशाओं में परिलक्षित ,
तेरा अनुराग |
तेरी ममता ,करुणा
तेरी ही ऊर्जा से,
जुड़े हैं सब
दैहिक ,दैविक ,भौतिक तार |
माँ
तेरी महिमा अपरम्पार |
तू है दर्पण
प्रतिबिंम्ब है सकल संसार |
मानव ,देव दानव
या पशु पक्षी का संसार ,
है तू ही सबका आधार |
संवेदना का पुण्य संसकार
धैर्य , निष्ठा , स्नेह की मन्दाकिनी
जग करता जिसमें स्नान |
पीढ़ियाँ बनाती ,पीढ़ियों को तारती |
तेरी ही रचना तू ही सब जानती |
जगती के कण कण में
रची बसी तू |
माँssss
अपार तेरी महिमा
शक्ति रूपा ,आधारभूता
जगत जननी |
तेरी आद्रता से नम
उर्वरित,पोषित ,पल्लवित
समाहित है मुझमें तेरा ही रूप |
तुझ से ही निर्मित
तेरे पद चिन्न्ह पर बढ़ाती पग
चल रही हूँ ,
उत्तरोत्तर बढ़ रहीं हूँ मैं
नतमस्तक हूँ
करूँ पदवन्दन
देखा तुझसे ही यह सुंदर संसार
भरी हृदय में ममता
बहती करुणा रस धार
हृदय बना विशाल
पाया मैने भी सौभाग्य
मैं भी हूँ माँ
हाँ !! माँsssssss
मैं भी हूँ एक माँ ssss
©मंजूषाश्रीवास्तव

Language: Hindi
442 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फिल्मी नशा संग नशे की फिल्म
फिल्मी नशा संग नशे की फिल्म
Sandeep Pande
ये कैसा घर है. . .
ये कैसा घर है. . .
sushil sarna
वो नई नारी है
वो नई नारी है
Kavita Chouhan
*शत-शत नमन प्रोफेसर ओमराज*
*शत-शत नमन प्रोफेसर ओमराज*
Ravi Prakash
झरना का संघर्ष
झरना का संघर्ष
Buddha Prakash
पागलपन
पागलपन
भरत कुमार सोलंकी
आज रात कोजागरी....
आज रात कोजागरी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
Vijay kumar Pandey
देर तक मैंने आईना देखा
देर तक मैंने आईना देखा
Dr fauzia Naseem shad
सुंदर नयन सुन बिन अंजन,
सुंदर नयन सुन बिन अंजन,
Satish Srijan
राखी रे दिन आज मूं , मांगू यही मारा बीरा
राखी रे दिन आज मूं , मांगू यही मारा बीरा
gurudeenverma198
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
Abhinesh Sharma
टूटकर, बिखर कर फ़िर सवरना...
टूटकर, बिखर कर फ़िर सवरना...
Jyoti Khari
ओ! महानगर
ओ! महानगर
Punam Pande
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Omee Bhargava
खाओ जलेबी
खाओ जलेबी
surenderpal vaidya
2412.पूर्णिका
2412.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
साहित्य चेतना मंच की मुहीम घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि
साहित्य चेतना मंच की मुहीम घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि
Dr. Narendra Valmiki
जो बीत गया उसे जाने दो
जो बीत गया उसे जाने दो
अनूप अम्बर
तुम्हें लगता है, मैं धोखेबाज हूँ ।
तुम्हें लगता है, मैं धोखेबाज हूँ ।
Dr. Man Mohan Krishna
"हैसियत"
Dr. Kishan tandon kranti
अगर दुनिया में लाये हो तो कुछ अरमान भी देना।
अगर दुनिया में लाये हो तो कुछ अरमान भी देना।
Rajendra Kushwaha
परछाइयों के शहर में
परछाइयों के शहर में
Surinder blackpen
माना के वो वहम था,
माना के वो वहम था,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
युद्ध घोष
युद्ध घोष
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
सोशल मीडिया पर दूसरे के लिए लड़ने वाले एक बार ज़रूर पढ़े…
सोशल मीडिया पर दूसरे के लिए लड़ने वाले एक बार ज़रूर पढ़े…
Anand Kumar
#प्रणय_गीत:-
#प्रणय_गीत:-
*Author प्रणय प्रभात*
होली का रंग
होली का रंग
मनोज कर्ण
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
Rj Anand Prajapati
एक पंथ दो काज
एक पंथ दो काज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...