Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2021 · 1 min read

मैं हिन्दी हूं।

मैं हिन्दी हूं।
मादरे वतन,
हिंद की भाषा हूं।
मैं हिन्दी हूं।
भारत माता की बिन्दी हूं।
मैं हिन्दी हूं।
मैं हिन्दू की भाषा हूं।
मैं हिन्दी हूं।
मैथिली,मगही, भोजपुरी की,
मैं माता हिन्दी हूं।
मैं हिन्दी हूं।
मैं भारत की,
संपूर्ण भाषा हूं।
मैं हिन्दी हूं।
रेणु, दिनकर, मैथिली की,
मैं माता हूं।
मैं हिन्दी हूं।
बड़ी मिठी भाषा हूं।
मैं हिन्दी हूं।
विश्व में सम्पर्क भाषा हूं।
मैं हिन्दी हूं।
मैं माता हूं।
रामा मै हिन्दी हूं।
स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Language: Hindi
1 Like · 542 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

संगीत और स्वतंत्रता
संगीत और स्वतंत्रता
Shashi Mahajan
खुशबू चमन की।
खुशबू चमन की।
Taj Mohammad
लिखने के आयाम बहुत हैं
लिखने के आयाम बहुत हैं
Shweta Soni
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
Dr Archana Gupta
जिंदगी
जिंदगी
Bodhisatva kastooriya
"विजेता"
Dr. Kishan tandon kranti
3588.💐 *पूर्णिका* 💐
3588.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
देर मी ही अंधेर
देर मी ही अंधेर
Mukund Patil
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
मैं ख़ुद डॉक्टर हूं
मैं ख़ुद डॉक्टर हूं" - यमुना
Bindesh kumar jha
कलंक
कलंक
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
गंगा घाट
गंगा घाट
Preeti Sharma Aseem
बहाव संग ठहराव
बहाव संग ठहराव
Ritu Asooja
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
Harminder Kaur
*हुस्न तेरा  है  गरूर भरा*
*हुस्न तेरा है गरूर भरा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सुधि सागर में अवतरित,
सुधि सागर में अवतरित,
sushil sarna
इस जहां में अब वो, अजनबी नहीं मिलता..
इस जहां में अब वो, अजनबी नहीं मिलता..
sushil yadav
इश्क करना
इश्क करना
Ranjeet kumar patre
किसने क्या खूबसूरत लिखा है
किसने क्या खूबसूरत लिखा है
शेखर सिंह
😊
😊
*प्रणय*
व्याकुल मन की व्यञ्जना
व्याकुल मन की व्यञ्जना
हिरेन जोशी
सब ठीक है ।
सब ठीक है ।
Roopali Sharma
राम हैं क्या ?
राम हैं क्या ?
ललकार भारद्वाज
जब भी दिल का
जब भी दिल का
Neelam Sharma
तुम से ज़ुदा हुए
तुम से ज़ुदा हुए
हिमांशु Kulshrestha
तेवरी : युग की माँग + हरिनारायण सिंह ‘हरि’
तेवरी : युग की माँग + हरिनारायण सिंह ‘हरि’
कवि रमेशराज
*जीत का जश्न*
*जीत का जश्न*
Santosh kumar Miri
आँखें खोलूं तो सारा ज़माना नज़र आता है,
आँखें खोलूं तो सारा ज़माना नज़र आता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी जीने के लिए है
ज़िंदगी जीने के लिए है
Meera Thakur
"ऐ वतन, ऐ वतन, ऐ वतन, मेरी जान"
राकेश चौरसिया
Loading...